पूर्णिया एसपी निकला लूटेरा 6 वर्ष के नौकरी में करोडों की कमाई

बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर जो खेल चल रहा है पूर्णिया एसपी उसका एक प्यादा है और इस प्यादा के सहारे इस खेल को समझा जा सकता है, दयाशंकर 2014 बैच का आईपीएस अधिकारी है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2016 में उसकी पोस्टिंग अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रूप में आरा जिला में हुआ और फिर वही से इसे शेखपुरा जिला का एसपी बनाया गया।

शेखपुरा जिला एक अनुमंडल और 9 थाने का जिला है लेकिन अवैध पहाड़ खनन के कारण बिहार का यह धनबाद है । तीन वर्ष से अधिक समय तक ये शेखपुरा का एसपी रहाइस दौरान एसपी के संरक्षण में अवैध खनन की लगातार शिकायतें पुलिस मुख्यालय को मिल रही थी ,हुआ क्या इस पर कार्यवाही होने के बजाय इन्हें 31 दिसम्बर 2021 को शेखपुर से सीधे उठा कर चार अनुमंडल 40 थाना और प्रमंडल मुख्यालय पूर्णिया जिला का एसपी बना दिया गया।

जबकि एसपी की पोस्टिंग करने के समय पटना,मुजफ्फरपुर, दरभंगा,भागलपुर,गया और पूर्णिया में जो सीनियर आईपीएस अधिकारी होते हैं जिनके पास तीन चार जिले में पुलिसिंग का अनुभव रहता है उन्हें पोस्ट किया जाता है । ऐसे में दयाशंकर को सीधे शेखपुरा से पूर्णिया का एसपी बनाये जाना साधारण बात नहीं है क्यों कि नीतीश कुमार के यहां ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर एक व्यवस्था है फाइल हमेशा डीजीपी के यहां से मूव होता है और उसमें डीजीपी को पूरी स्वतंत्रता रहती है किसको कहां पोस्ट करना है और उस अधिकारी का कार्यक्षमता कैसा है वो लिखनी पड़ती है इतना ही नहीं अगर किसी तरह की शिकायत है तो वह भी उस फाइल पर दर्ज करना है और पोस्टिंग से पहले खुल कर चर्चा होती है बहुत कम ऐसे मौके आये हैं जब सीधे सीएम के यहां से नाम डीजीपी को भेजा गया हो। फिर उस लिस्ट पर सीएम,मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ साथ सीएम के प्रधान सचिव बैठ कर निर्णय लेते हैं जिसका पैरवी रहता है उस अधिकारी के नाम के सामने उस नेता का नाम लिखा रहता है ।

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पैसा वाला खाता अलग रहता है जो पूरी तौर पर अधिकारी के स्तर पर ही चलता है और उसका अलग अलग तरीका है चाहे आरसीपी का ही जमाना क्यों ना रहा हो है। कौन किस कोटा से हैं इसकी जानकारी सीएम को जरूर रहती है । साथ ही एसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारियों के तबादले में नीतीश कुमार डीजीपी के पसंद को नजरअंदाज नहीं करते हैं अभयानंद के बाद जो भी डीजीपी बने सीएम के इस शैली का खूब लाभ उठाया है और जमकर वसूली किया है।

जहां तक मेरी जानकारी है दयाशंकर मामले में नाम डीजीपी कार्यालय से ही आया था और इसके उपर खनन माफिया से साठगांठ और थाना बेचने का जो आरोप लगा था बैठक में इसकी चर्चा तक नहीं हुई ।कहा ये जा रहा है कि दयाशंकर को शेखपुरा से सीधे पूर्णिया पोस्टिंग पर सवाल भी उठे थे लेकिन बैठक में मौजूद अधिकारी दयाशंकर के साथ खड़े थे ।

पूर्णिया एसपी निकला लूटेरा 6 वर्ष के नौकरी में करोडों बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर जो खेल चल रहा है पूर्णिया एसपी उसका एक प्यादा है और इस प्यादा के सहारे इस खेल को समझा जा सकता है, दयाशंकर 2014 बैच का आईपीएस अधिकारी है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2016 में उसकी पोस्टिंग अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रूप में आरा जिला में हुआ और फिर वही से इसे शेखपुरा जिला का एसपी बनाया गया।

दयाशंकर बिहार का रहने वाला है लेकिन इसकी कोई ऐसी राजनीतिक पैरवी नहीं है जिसके सहारे शेखपुरा से सीधे पूर्णिया पहुंच जाये हालांकि दयाशंकर के पूर्णिया एसपी बनने के कुछ ही दिनों के बाद सीएम तक यह खबर पहुंचने लगी थी कि पूर्णिया एसपी शराब माफिया से जुड़ कर डालखोला से ट्रक से शराब का तस्करी करावा रहा है और इस सूचना के बाद ही सीएम ने एसपी पूर्णिया पर एक्शन लेने को कहा ।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे अधिकारियों का फिल्ड में पोस्टिंग कैसे हो जा रहा है जबकि जिला जाने की स्थिति में सौ से ज्यादा आईपीएस अधिकारी सरकार के पास नहीं है कौन क्या है क्या कर सकता है बिहार का बच्चा बच्चा जानता है ऐसे में मुख्यमंत्री जिस विभाग के मंत्री हो वहां इस तरह का खेल हो तो सवाल उठना लाजमी है वैसे इस एक्शन से आईपीएस अधिकारियों में भय तो जरूर व्याप्त हुआ है और पुलिस मुख्यालय स्तर से इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के फील्ड में भेजने से जुड़ी एक फाइल जो काफी तेजी से मूवमेन्ट कर रहा था कल सुबह ही रुक गया देखिए आगे आगे होता है क्या वैसे इस एक्शन के बाद तबादले नीति में बदलाव आएगा ऐसा दिख रहा है।

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