मानवता का संदेश देता है ईद-ए-मिलाद-उन- नबी।

IMG 20221008 WA0038 सुधांशु शेखर/ फलका, कटिहार।

सुधांशु शेखर/ फलका, कटिहार।

मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन को ईद- ए- मिलाद- उन- नबी के रूप में मनाते हैं। ईद- ए- मिलाद- उन- नबी इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी- उल- अव्वल के 12 वें  दिन मनाया जाता है। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर मोहम्मद की याद में जगह-जगह जुलूस निकालते हैं और आयोजन भी करते हैं। इस साल ईद-ए- मिलाद- उन- नबी आज 9 सितंबर को मनाई जाएगी। इद-ए-मिलाद-उन-नबी मानवता का संदेश देता है। यह उत्सव पैगंबर मोहम्मद के जीवन और शिक्षाओं को याद दिलाता है उक्त बातें आरफीन बहार ने कही।

IMG 20220727 WA0041 सुधांशु शेखर/ फलका, कटिहार।

 पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी  बातों की जानकारी देते हुए आरफीन बहार ने बताया की पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब शहर के मक्का में 571 ईसवी को हुई। उनके वालिद (पिता) वालिदा (माता) कुरैशी खानदान से थे। पैगंबर मोहम्मद के जन्म से पहले ही उनके पिता का इंतकाल (निधन) हो गया था। पैगंबर मोहम्मद के पैदाइश के 6 वर्ष बाद उनके माता की भी मृत्यु हो गयी। जिसके बाद पैगंबर मोहम्मद का परवरिश उनके दादा अब्दुल मुत्तलिब और चाचा अबू तालिब ने की। बचपन से ही पैगंबर मोहम्मद शांति स्वभाव के थे। पैगंबर मोहम्मद सच्ची और मीठी बातें करने वाले थे। जबकि अरब के लोग दगाफरेब, झूठ बोलने में अपना जीवन बिताते थे। पैगंबर मोहम्मद की सच्चाई को देखकर लोगों ने अल अमीन( सच्चा ईमानदार) कहने लगे थे।

IMG 20220827 WA0038 सुधांशु शेखर/ फलका, कटिहार।

उस समय अरब में औरतों पर कई तरह के अत्याचार हो रहे थे। झूठ,फरेब, आतंक का बोलबाला था। लोग अंधविश्वासों में डूबा हुआ था। बड़े होने पर पैगंबर मोहम्मद ने व्यापार का काम शुरू किया। धंधे में ईमानदारी पर उन्हें बहुत यकीन था। व्यापार में उनकी मेहनत और ईमानदारी की बात इतनी फैली की बीबी खदीजा ने उनसे प्रभावित होकर शादी का संदेश भेजा। सादा खाना, सादा कपड़े, और अपना काम खुद करना तथा साफ सफाई रखना उनके स्वभाव में शामिल था। पैगंबर मोहम्मद हमेशा सोचा करते थे कि लोगों को बुराई से कैसे हटाया जाए। कभी-कभी इस विषय पर घंटों सोचा करते थे। उस समय वे खाना पीना भी भूल जाते थे। मक्का में गाढ़े हीरा नाम का  पहाड़ था जिसमें वे जाकर ध्यान लगाते थे। 1 दिन गाढ़े हीरा में खुदा का फरिश्ता आया और कहां तू ही खुदा का पैगंबर है। जा लोगों को खुदा की बातें सुना। इस तरह पैगंबर मोहम्मद ने फरिश्ते जिब्राइल द्वारा दिए गए खुदा का हुक्म लोगों को सुनाया। पैगंबर मोहम्मद ने लोगों को जो पैगाम सुनाया उसका उन्हें काफी विरोध सहना पड़ा। धर्म के प्रचार का हुक्म खुदा से मिला था। उन्होंने मक्का में लोगों से बुराई को चोर सच्चाई को अपनाने का प्रचार करने लगे और लोग धीरे-धीरे उन्हें अपना पैगंबर मानने लगे कुछ लोगों ने पैगंबर मानने से इनकार कर दिया। लेकिन, वे अपना प्रचार जारी रखें। पैगंबर ना मानने वालों के तरफ से विरोध इतना बड़ा की पैगंबर मोहम्मद को मक्का छोड़ मदीना जाना पड़ा। वे मदीना पहुंचे तो मक्का में रहने वाले उनके विरोधियों ने मदीना पर हमला कर दिया। सुलह के कोशिश के बाद भी लड़ाई छिड़ी और युद्ध हुआ। फिर बहुत दिनों बाद पैगंबर मोहम्मद एक लाख 24 हजार मुसलमानों के साथ मक्का हज के लिए गए। मक्का के लोगों ने भी हारकर इस्लाम को मान लिया। इस तरह अरब में इस्लाम धर्म का आगाज हुआ। 63 वर्ष की उम्र में पैगंबर मोहम्मद ने मक्का  आखरी हज करने पहुंचे जहां सख्त बीमार पड़ गए। लेकिन, नमाज अदा करना नहीं छोड़े। मरते समय एक आदमी का 3 दिरहम चुकाना नहीं भूले।

IMG 20220803 WA0018 सुधांशु शेखर/ फलका, कटिहार।

कुरान की धार्मिक सिद्धांत

See also  जिले का दूसरा फाइलेरिया क्लिनिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कसबा में शुरू, मरीजों को मिलेगी बेहतर सुविधा

कुरान इस्लाम की मुख्य किताब है। जो कि 14 सौ वर्ष पहले लिखी गई थी। जिसकी फारसी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। यह किताब पैगंबर मोहम्मद और उनके साथियों द्वारा 23 वर्ष में खुदा के तरफ से भेजे गए आधार पर लिखी गई है। यह किताब इस्लाम की बुनियाद है। इस्लाम धर्म के मुख सिद्धांतों में एक खुदा को मानना, भाईचारा रखना, औरतों का इज्जत करना, नौकरों के साथ मदद करना, दिन में 5 बार नमाज पढ़ना, दान देना, जीवन में एक बार हज करना आदि शामिल है।

Leave a Comment