मुक्तधाम विजय लालगंज में आयोजित तीन दिवसीय विश्व चेतना लोक कल्याण संत

IMG 20221009 WA0093 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

रूपौली प्रखंड के विजय लालगंज पंचायत के मुक्तधाम में सद्गुरु मुक्त स्वरूप देव साहेब की निर्वाण महोत्सव पर आयोजित तीन दिवसीय विश्व चेतना लोक कल्याण संत, कवि पत्रकार महासम्मेलन सम्पन्न हो गया। जिसकी अध्यक्षता पूर्वोत्तर बिहार के चर्चित संत योगेश ज्ञान स्वरूप तपस्वी ने किया। इस मौके पर दर्जनों संतो ने अपनी वाणी से श्रद्धालुओं को धर्म का मार्ग बताया

IMG 20220927 WA0128 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत श्री आधार दास जी शास्त्री ने सत्संग में ज्ञान, धर्म और भक्ति पर प्रकाश डालते हुए भक्तों को सत्य एवं दायित्व का बोध कराया।उन्होंने कहा कि सत्संग से मनुष्य का कल्याण होता है। सत्संग करने से मनुष्य को इहलोक और परलोक दोनों जगह शांति मिलती है। हर मनुष्य को चाहिये कि वे दुर्लभ मानव जीवन पाकर सदगुरू की शरण में जाकर नियमित रूप से सत्संग करें। सत्संग के लिये सबसे पहले संतों का संग जरूरी है

IMG 20220927 WA0127 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

संत श्री योगेश ज्ञान स्वरूप तपस्वी ने सत्संग के पीछे का गहरा अर्थ समझाया और इसके विभिन्न रूपों का वर्णन किया।उन्होंने कहा”सत’ का अर्थ है स्वयं का परम सत्य, और ‘संग’ का अर्थ है संगति। गाने की शक्ति उसमें निहित है, जितने अधिक लोग उपस्थित होंगे, समूह की ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी, और आत्मा उतनी ही स्थिर और स्थिर हो जाएगी।” “सत्संग के कारण आपकी दृष्टि, वाणी और यहां तक   कि आपके विचार भी ऊंचे हो जाएंगे।” उन्होंने समाज और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी खुलकर अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि समाज,देश और विश्व को बचाना संतों का काम है। लेकिन सरकार संतों को अहमियत नहीं देती है जिसके कारण विश्व में संकट का दौर चल रहा है

IMG 20220907 WA0173 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

संत श्री रतन स्वरूप शास्त्री ने कहा कि अनेक लोग सत्संग में जाते हैं और खाली हाथ वापस लौटते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनकी देह तो सत्संग में उपस्थित रहती है लेकिन उनकी आत्मा, उनका मन संसार में भटकते रहते हैं। जब मन-आत्मा सत्संग में नहीं होते तो भला उन्हें उपदेश और दिव्य संदेश कैसे स्मरण रह सकते हैं। इसी कारण न उनका आचरण बदलता है और न उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन आता है।लोग सत्संग सुनने जाते हैं लेकिन ‘सत्’ को महत्व नहीं देते हैं। ‘सत्’ के साथ संबंध जोड़ने में उनकी कोई रुचि नहीं होती है। ‘सत्’ नहीं होगा तो केवल ‘संग’ ही रह जाएगा और जिसके कारण ‘संग’ हो रहा है

IMG 20220916 WA0082 पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

समारोह को महंत श्री भुवनेश्वर गोस्वामी महंत श्रीजय गोस्वामी संत श्री निर्मल गोस्वामी ने भी संबोधित किया।मौके पर गायक बिजेंद्र दास जी,मनोरंजन कुमार, योगेंद्र कुमार,मानकेश्वर दास, संजीव दास,नागेश्वर दास,लक्ष्मीकांत ब्रह्मचार, मुकेश कुमार,प्रमोद दास समेत अन्य गायकों ने कई भक्ति गीत प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

See also  दिल्ली की 3 सदस्य केंद्रीय टीम चुरावन विगहा हादसे की जांच

Leave a Comment