विश्व मृदा दिवस: सुनहरी मिट्टी को बचाने की जरूरत, कृषि को…

हैलो कृषि ऑनलाइन: 5 दिसंबर आज विश्व मृदा दिवस है। 2027 तक भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होगा देश होगा और इतनी बड़ी आबादी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी दुनिया के किसानों पर रहेगी, किसानों के लिए यह एक बड़ा अवसर हो सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले वर्षों में कृषि और खाद्यान्न की वैश्विक मांग बढ़ेगी और किसानों के अच्छे दिन आएंगे। यह सच है कि शहरों में लोग तभी जीवित रहेंगे जब ग्रामीण क्षेत्रों से भोजन की आपूर्ति की जाएगी। खेती की जमीन दिन-ब-दिन बंजर होती जा रही है।

कृषि और कृषि से जुड़े अन्य सहायक उद्योग यानी डेयरी, पोल्ट्री, पोल्ट्री, मांस व्यवसाय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अच्छे दिन आएंगे। सभी दिन एक जैसे नहीं होते, इसलिए किसानों को कृषि के लिए संकट से निकलने का रास्ता खोजने के मौके का फायदा उठाना चाहिए। भविष्य में किसानों को अवसाद को छोड़कर सकारात्मक दृष्टिकोण से खाद्यान्न उगाने और अपनी भूमि को जीवित और स्वस्थ रखने की आवश्यकता है।

कृषि आधारित उद्योग (विश्व मृदा दिवस)

खाद्य उत्पादन के भविष्य में शेडनेट, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, ग्रीनहाउस फार्मिंग, वर्टिकल फार्मिंग (फ्लोर फार्मिंग), डीप फार्म (भूमिगत वर्टिकल फार्मिंग), हाइड्रोपोनिक (मिट्टी के बिना पानी पर खेती) या एरोपोनिक (हवा में खेती) शामिल होंगे। परम्परागत कृषि प्रणाली में प्रत्येक किसान की मिट्टी जीवित, उपजाऊ और दृढ़ होने पर मांग के अनुसार फसल पद्धति अपनाई जा सकती है। इसलिए लेख में दी गई महत्वपूर्ण बातों को समझना और आत्मसात करना चाहिए ताकि किसान भविष्य में इस अवसर का लाभ उठा सकें।

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— मिट्टी में जैविक खाद के साथ जीवाणु खाद (विश्व मृदा दिवस) के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया और बनाए रखा जा सकता है।
मिट्टी में पर्याप्त नमी होने पर ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।
– गर्मियों में जमीन पर हरे कवर का इस्तेमाल करना चाहिए।
-फसल अवशेषों को बिना जलाए जमीन में गाड़ देना चाहिए और उस पर खाद का प्रयोग करना चाहिए।
— खाद (खाद/कम्पोस्ट/केंचुआ खाद) और हरी खाद (ढैंचा, बोरू) का नियमित रूप से प्रयोग करना चाहिए। ♦खेत के तटबंध पर गिरिपुष्का, येरंडी और हरी घास की फसलें पवन अवरोधकों के रूप में लगानी चाहिए।
पानी के ज्यादा इस्तेमाल से बचें।
-मृदा परीक्षण के आधार पर अनुशंसित उर्वरकों का उपयोग करके पोषक तत्वों का संतुलन।
– दलहनी फसलों को फसल प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए।
— राइजोबियम, पीएसबी, एजोटोबैक्टर, जिंक, सिलिकन, सल्फर आदि जीवाणु खादों का प्रयोग करना चाहिए।
– समस्याग्रस्त लवणीय और चाकली मिट्टी में मृदा कंडीशनर (जिप्सम, जैविक खाद, मिश्रित बालू, प्रेसमड, गन्ना पलवार) का प्रयोग करें।
-ध्यान रहे कि मिट्टी में सड़ा हुआ गोबर ही मिलाना चाहिए।
मेरे सभी किसान भाइयों को आज की हार्दिक शुभकामनाएं! पूरी दुनिया काली मिट्टी पर निर्भर है, आज के दिन को मनाने का कारण यह है कि हमें मिट्टी और उसके स्वास्थ्य के बारे में उसी के अनुसार सोचना चाहिए! मिट्टी एक जीवित संसाधन है।

जैविक किसान
शरद केशवराव बोंडे।
ता अचलपुर जी अमरावती
9404075628

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